मेरी मां का नाम ललिता है. मै दसवी में पढ रहा था. मेंरा नाम राजीव है. मां मुंझे प्यार से राजुबेटा कहती है. सारी में मेरी मां मुझे बहोत सेक्सी लगती थी. उसके बुब्ज और मांसल गांड और उसकी जांघे मुझे दिखतेही मेरा लंड खडा हो जाता था. सपने में उसे नंगी कर मैं कई बार चोद भी चुका था. दसवी का टेंशन मुझसे ज्यादा उसे था. वो देर रात तक मुझसे स्टडी करवाते थी. मेंरा ध्यान रहता था उसकी बुब्ज पर. गांड पर.
शायद एक दिन उसकी समझ में आया कि कुछ गडबड है. उसने कहा, "तेरा स्टडी में बिल्कूल ध्यान नहीं है. मेरेही तरफ ताकता रहता है. ऐसे में तू अच्छे मार्क कहा से लायेगा?"
मैं कुछ नहीं बोला. उसकी ओर ही सेखता रहा. क्या बताऊं मैं उसे मेरे मन की बात?
उसने मेरी पीठ पर से हाथ फेरा और कहा, "तेरे पिता होते तो मुझे चिंता कि बात न थी. अब घरसंसार तुझे ही ढोना है. अच्छा स्टडी नहीं करेगा तो तेरा कैसा होगा?"
मैं शरमा तो गया मगर जैसे ही वह झुकी उसके बडे बुब्ज जैसे म्यक्सी फाडने पर तुले. मेंरा ध्यान उधर ही था. मां कुछ देर तक वैसेही झुके रही. मुझे लग रहा था हाथ आगे बढाऊं और दबा दु नर्म बुब्ज को.
मां के ध्यान में सिचुएशन आ गई.
"तो तुझे स्टडी करनी नहीं. मेरेही ओर ताकते रहना है?"
मै कुछ न बोला.
"क्यो ताकता हैं मेरी ओर? मैं भूत थोडेही हुं?"
"नही मां...तुम तो बहोत खुबसुरत हो."
"मैं तेरी बीबी तो नहीं हुं. मां हूं. बेशरम की तरह कुछ गंदे खयाल तो नहीं आ रहे तेरे मन में?" वो मेरी ओर ही देख कर बोल रही थी. "तुम अभी सिएर्फ पंद्रह साल के हो. ऐसी बाते और वो भी मां के बारे में सोचने की हिम्मत कैसे हुई? चल स्टडी कर...ध्यान उधएर लगा."
मगर मन क्या करे? मेरा ध्यान उसकी बुब्ज पर ही था.
वो परेशान गो गई. उठी और मेरे कमरे से चल पडी. उसकी हिचकौले लेती घांड की ओर मैं मुग्ध सा देखता रहा. उसके गुस्से का मुंझे कुछ न क्लगा. खूश था कि मेरे मन मे क्या चल रहा है इसका पता उसे हो गया.
कुछ देर बाद वो वापस लौटी. गंभीर थी.
"तू जवान हो रहा है. तू क्या सोच रहा है ये तुझे भी नहीं पता. ये पाप है."
"मेरा मन स्टडी में नही लगता मां..."
"तो क्या मम्मी को पाप की नजर से देखना अच्छा लगता हैं" वो चिल्लाई. "तू स्टडी नही करेगा तो मैं जान दे दुंगी."
"नहीं मां. मै स्टडी करुंगा. मगर खयाल तेरेही रहते हैं. मैं क्या करुं:" मैने कहा और रोना शुरु कर दिया.
वो मेरे पास आई. मेरे आंसू पोंछे. बोली, "मेरे बेटे, ऐसा सोचते है मां के बारे में? रोना मत." और उसने मुझे अपनी बाहो में भर लिया. उसके बुब्ज में मेरा सर दब गया. आह. क्या मुलायम-गर्म टच था वो. मां ने मेरे सर पर से हाथ फिराया. धीरे से बोली, "तेरे लिये मै कुछ भी करुंगी...हां...कुछ भी...देखना चाहता है मुझे...देख ले तेरी मां नंगी कैसे दिखती हैं. बाद में तू स्तडी में ही ध्यान देगा."
मां ने मुझे दुर हटाया. अपनी म्यक्सी उठा ली और उपर से निकाल दी. मां अब ब्रा और प्यंटी में थी. उसकी गोरे जांघे और सुकुमार टांगे मेरे सामने थी. उसके बुब्ज भारी थे. पेट सपाट. उसकी गांड का कर्व तो ऐसा था कि बस्स. मैं मंत्रमुग्ध सा उसे देखता ही रह गया. मेरी मां अब प्यंटी उतारने लगी. मेरी नजर उसकी झांट भरी फुली हुई चूत पर थी. फिर उसने अपनी ब्रा भी निकाल दी.
मेरी ओर देखा. मुझे ये नही समझ रहा था कि नजर किसपर जमाउं. बुब्ज पर, उसकी \चुत्पर या उसकी सेक्सी जांघों पर.
मां बोली. "देख ले. औरत ऐसी दिखती है. अब तो मन भर गया तेरा?"
मैं उठा. मेरा लंड फनफना रहा था. मैने उसे बाहों में भर लिया.
"मां तु बहोत सेक्सी है. ऐसे ही रह. देखने दो सब मुझे."
और उसके स्तन दबाने लगा. एक हाथ उसके चूत पर चला गया. मैं पागल हो गया था. मां ने मुझे दूर हटाने कि कोशीश तो की, मगर सफल न रही.
"मै तुम्हे सिर्फ दिखा रही थी. आगे ना बढना...पाप हो जायेगा..." वो बोली, मगर उसकी आवाज की कामुकता मै समझ गया था. मैने उसके होठो पे होंठ रख के उसकी आवाज कम कर दी. चुत के उपर का हाथ मैने और नीचे खिसकाया. वहां उसकी चूत का छेद था. गीला था. बुब्ज पर का हाथ मैने उसकी मांसल गांड पर लिया और उसके पुठ्ठे दबाये. मां अब मेरा साथ देने लगी थी. वो मुझे बेड पर लिटाने लगी. मेरा लंड उसने मेरी शोर्ट के उपर से ही दबोच लिया. वो भी गर्म हुई थी. क्या करे, शायद वो भी बाप के मरने के बाद चुदी नहीं थी.
मैने शोत और अंडरवेयर तेजी से निकाल दे और उसकी चुत को टांगे फैलाकर मसला. चूत के होल मे उंगली सरकाई. चिकनी और गर्म थी चूत. फिर मं उसके उपर आकर उसके बुब्ज आरीबारी चुसने लगा. मसलने लगा. उसे कहां टच करू और कहां नही ऐसा मुझे हो गया था. एक जन्नत मुझे मील गई थी जो मै खोना नहीं चाहता था.
वो भी मुझे बेतहाशा चूम रही थी. मेरे लंड को मुठ्ठी में पकड सहला रही थी. मै इतना गर्म हो गया था कि अब कभी भी एक्स्प्लोजन होगा ऐसा लग रहा था.
"घुसा दे तेरा मेरी में" मां धीरे से बोली. शायद उससे भी रहा नहीं जा रहा था.
"क्या घुसाऊं मां? मैने नासमझ जैसे पुछ लिया.
"तेरा लंड राजा बेटआ, तेरी मम्मी कि चूत में घुसा दे..."
"हां मम्मी..."
उसने टांगे फैलाई. झांट भरी चूत अब मेरे सामने पुरी तरह से उजागर थी. गोरी टांगों के बीच काले झांट बडे सुहाने लग रहे थे. उसका छेद चौडा हो गुलाबी पंखुडियो कि तरह दीख रहा था. और उसका फुला हुआ दाना.
मैंने मेरा फनफनाता लंड उसकी छेद प्र रख दिया. उसे पुरी बाहों में जखडा और एक ही धक्के में मेरा लंड उसकी चूत में था!
वासना से मैं फुला नहीं समाया था. उसका अंदर का टच बेतहाशा सेक्सी था. मेरा लंड सातवे आसमान पे था. मेरी मां की चूत में मेरा लंड वाकई होगा ये सपने मे भी नही सोचा था. वो भी मुझे जकडे रही और गांड उचकाने लगी.
मां को चोदना बडा आसान हो रहा था.
"ऐसेही चोदना चाहते थे मुंझे"
"हां मां" मैने कहा और धक्के देने लगा. हांफने लगा. गर्मी से उसे पसीना आ रहा था. उसका पसीने से लथपथ चेहरा और चेहरे के वासना से भरे विकृत भाव मुझे और ही एक्साइट कर रहे थे.
"चोद ले, तेज धक्के लगा,...आह...चुदी नहीं रे मै भी बहोत महनों से...चूत खुजलाती थी. मिटा दे मेरी खुजली को. रंडा बेटा बन गया है तु आज. साले...जोर से धक्का दे,...रंडी हुं मै अब तेरी...चाहे जैसा चोद दे..."
मै गंदी बाते सुन एन्जोय कर रहा था. मैं भी कहू कुछ ऐसा लग रहा था. मैं नीचे झुका और उसकी कान में फुसफुसाया,
"तेरी चूत को अच्छा लग रहा हैं मां?
"हा रे मादरचोद....अच्छा लग रहा है."
"अब मैं तुम्हे रोज चोदुंगा."
"चोद ले...तेरीही हुं ...धक्के जोर से देना....हाय मेरी चूत...मजे ले रही है बेटे के लंड के. जोर से...तेज...और तेज..."
मैने धक्कों की गती तेज कर दी. धप..चप...चप...हाय...उय़्य़
सांसे तेज थी. हमारा चोदना एक ताल बन गया.
"मां, तू मेरी कुत्ती है..." तेज सांसों के बीच से मैने कहा.
"हा...कुत्ती की तरह भी चोद ले मुझे...मै कुत्ती बन जाती हुं...निकाल तेरा..."
मैने चूत से लंड निकाल लिया जो पुरा गीला था उसके रस से.
वो उल्टी लेट गई और कुत्ती की तरह गांड मेरी ओर कर दी.
"डाल पीछे से...मजा आयेगा..."
उसकी मांसल गांड का नजारा वल्ला वल्ला था. पहले तो लगा उसकी गांड ही मार दू. मगर उसने हाथ पीछे ले मेरा लंड बराबर उसकी चुत के होल पर रख दिया.
एक ही धक्के में मेरा लम्ड अंदर था.
मै जोर जोसे उसे धक्के दे रहा था.
वो कामूक आवाजे निकालती हुई गंदी बाते करती जा रही थी.
मै भी उसे रंडी, कुत्ती, मेरी चूत कहे जा रहा था.
फिर वो पल था क्लायम्यक्स का.
वो और मं एक साथ ही झड गये.
मैं उसकी बगल मे लेट गया. उसे बाहों में भर लिया और गहरे प्यार से चुम्मा लिया. उसने भी मेंरा लंड पकडा और कहा,
"अभी दसवी में हो...और मां को ही चोद दिया? कैसा चुदाऊ पैदा हो गया रे तु?"
"मां तु है ही ऐसी सेक्सी....अब देख, हम रोज करेंगे. मैं स्टडी भी अच्छा करुंगा और अच्छ्वे मार्क्स लाऊंगा."
"हां रे बेटे. मैं तेरे से रोज चुदाई करुंगी मगर तु स्टडी अच्छा करना मेरे रंडे बेटे..."
उसने सहलाकर मेरा लंड और इक बार चुदाई के लायक बना दिया था. मैं हल्के से उसपर चढ गया. उसकी टांगे फैला दी और अब की बार धीरे धीरे उसे मस्त चोदने लगा. वो भी मुझे बाहों में भर और टांगों से लिपटकर हौली सिसकारिया भरती, बीच बीच में कामुक गंदी बाते करती, मेरे आंड को नीचे से हाथ ले जाती मेरी चुदाई एन्जोय करते रही.