Monday, 21 December 2015

बहना कि चुदाई...

क्या लाजबाब चूत थी उसकी. गदराई हुई. कंवले कंवले झांट. चुत के छेद से बाहर निकला गुलाबी दाना. साली ऐसी बहन हर किसीको मिले.

वो सोयी हुई थी या नाटक कर रही थी, नहीं पता. मैने धीरे से उसका गाउन उपर सरकाया था. इतना गरम था मैं के उसके नर्म गर्म बुब्ज को आहिस्ता सहलाते हुऎ उसके चुत के गर्मागर्म स्पर्श का मजा ले रहा था. थोडा डर भी था कि कही जग न जाये.

आज इसको चोद ही डालुं...लंड तो फनफना रहा था. सांसे तेज थी और हैवानियत सरपे सवार थी.

सामने बहन नहीं...एक चुदाऊ चुत थी और मेंरा तना हुआ लंड था...

मै उसकी चुत की ओर देखता रहा. साली, अंदर घुसाउंगा तो चिल्लायेगी.

भंडा फुट जायेगा.

क्यों न इसे और गर्म कर चुदाई के लिये मजबूर किया जाय?

मैंने उसकी चुत में धीरे से उंगली घुसाई...क्या नर्म थी वो...थोडा गीलापन...

उसने करवट लेने की जैसेही कोशिश की मैने उसे बाहो मे भर लिया...

मैने ठान ली...

आज मै मेरी प्यारी छोटे बहना की चूत ऐसी चोदुंगा कि स्स्साली मेंरी कुतिया बन चुदाते रहेगी जिन्दगी भर....

मैने मेंरे उंगली धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरु किया. बहोत टाईट थी मगर गीली. उसक रस छूट रहा था. सांसे तेज चलने लगी थी. मैं समझ गया...वो चुदाने के लिये तैयर है.

मग्र मैं उसे और गर्म करना चाहता था.

मै धीरेसे नीचे झुक गया. उसकी निकर मैने पहले ही नीचे सरका दी थी. उसकी गोरी गदराई जांघे सेक्सी थी. चुत का फुला हुआ हिस्सा और बीचवाली फांक और फुला हुआ दाना मुझे दावत दे रहा था. मैने उसकी टांगे थोडीसे फैलाई. उसने कोई हरकत नहीं की.

मैने मेंरा मुंह उसकी चुतपर रखा. क्या सालीकी चुत कि खुश्बू थी. मैने वि गंध फेफडों मे समा ली और मेरी जुबान उसके दाने पे रख चाटना शुरु किया और उंगली चुत में घुसाई. वैसेही वो..."उ....आ...स्स्स्स्स" करने लगी. मैने उसके बुब्जपर हाथ ले जाके उसे दबाना शुरु किया. वो जाग गई थी. गर्म थी. मैं दाना चाटअने के बाद मेंरी जुबान उसकी चुत के छेद मे सरका दी और जोरों से चाटने लगा.

उसने टांगे और फैला दी. मै बेथाशा उसकी चूत को चाटता रहा. उसके दाने को सहलाता रहा.

"उप्फ्ह...ओ भैय्या...." वो गरमाहट में फुसफुसाई.

"अच्च्छा लग रहा हैं बहना?"

"हां...मगर ये पाप हैं...हाय...मै मर गई....भय्या...बहोर्त अच्छा लग रहा है और डर भी..."

"डरो मत बहना...मै आज तेरी कुंवारी चुत को चोद के रहुंगा. " मैने कहा और उसे जोर से चाटने लगा. उसकी अनुमती मुंझे स्वर्ग मे ले गई थी. मैंने अब उसे पुरी नंगी कर दिया. वो आंखे बंद की हुई थी. मैने उसे चुमा. उसे आंखे खोलने को कहा. मैं उसे मेंरा लंड दिखाना चाहता था. वो नहीं मानी. शर्म से ...वासना से वो चूर थी. मैने उसके मुलायम और सख्त बुब्ज दबाये. मेंरा लंड उसके हाथों मे जबरदस्ती दिया.

"ये बहोत बडा है...भैय्या..."

"उसे देख तो ले...मैने जैसी तेरी चुत चाटी हे वैसेही उसे चखो...."

"शर्म आती है भैय्या..."

"अब तो मेरे रंडी है...शरमाना कैसे?"

उसने मेंरा लंड हाथों मे ठीक से पकडा. आंखे खोले बगैर वो मेंरे लंड तक आ गई और उसे सक करने लगी.

आह...कितना अच्छा लग रहा था उसकी मुंह में मेरा लंड देखकर. सोचा उसके मुंह को ही चोद दुं. मगर मुझे उसकी चूत चाहिये थी.

मैने उसे लिटाया. बाहो मे भर लिया. बेतहाशा चुमा. चूत में पुरी उंगली घुसेड दी.

"भैय्या....तुम कितने प्यारे हो...."

"और तू मेंरी४ प्यारी सेक्सी बहना. देख तुझे और मजा देता हुं"

"मगर धीरे से डालना भय्या...दर्द न हो..."

"ये तो बहोत प्यारा दर्द होता है मेंरी चूत...मेंरी रंडी....स्साली कुत्ती...ऐसे चोदुंगा कि फाड डालुंगा तेरी चुतको..."

"नही भय्या....मेंरे सेक्सी भय्या...तेरी लंड बहोत बडा है रे..."

"ऐसाही लंड औरतो को मजे देता है....देख तू..."

और मै उसके उपर सवार हो गया. उसकी चुत के छेद पर पहले लंड को सलाहा. वह उत्तेजनासे सिसकारिया भरती रही.

मैंने धीरे से मेंरा लंड अंदर घुसाया. चूत इतनी चिकनी थी रस से कि विना विशेष कष्ट के अंदर घुस गया....और उसे बाहों मे भर, बुब्ज दबाते उसे चोदने लगा.

"कैसा लग रहा है बहन?"

"बहुत प्यारा...." वो मेरे कानो मे फुसफुसाई.

आधे घंटे तक उसे चोदा. वो तो बहोत पहले झड गई थी.

फिर मैने भी मेंरा गाढा वीर्य उसकी चूत में छोड दिया और वैसे ही उसके बदन को चिपका रहा.

"बहोत मजा आया भय्या..."

"अब तुझे रोज चोदुंगा...दिन-रात...तेरी गांड भी मारुंगा...तेरा प्यारा मुंह भी चोद निकालुंगा..."

"हां भय्या....सच...आज तुने मुंझे औरत बना दिया,...."

"हां और मेरे रंडी भी..."

"हां भय्या...तेरी रंडी..."

उस दिन के बाद हजारो बार उसे चोदा...उसकी शादी होने तलक. उसकी शादी की पहली रात भी मेंरे साथ ही गुजरी. वह कहानी फिर कभी.

Friday, 4 December 2015

कुंवारी चुत चोदी...

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चूत उसकी सुहानी थी

चूत उसकी सुहानी थी
मेंरे लंड की दिवानी थी
गांड भरी और शानदार थी
गांड में लंड लेना
असकी दिवानगी थी
चुसती थी लंड ऐसा
कि फव्वारे छुटते थे
उसे रस पीने के
बडे भारी शौक थे
स्तन ऐसे थे कि जैसे मखमल
लंड दोनो स्तनो में
लेकर चुदाती अक्सर
चुत पे नहीं थे झांट
दरार में था गुलाबे पन
बिल में उसके कितनी
आसानी से जाता मेंरा लंड
बन जाती रंडी मेरी
चुदाते चुदाते
धक्के देता चुतमे ऐसे कि
फट जायेगी ऐसा लगे
फिर गांड में भी डाल देता
उसको घोडी बना के
कभी चुतमे कभी गांड मे
मस्ती भरी चुदाई
होती दिन रात में

थी ही मम्मा ऐसी
चोदी साली रंडी
चुतको रगड रगड के
लंड को मांगती थी